Fixed Deposit (FD) Disadvantages – फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करना बेहतरीन माना जाता है जो एक अच्छा रिटर्न प्रदान करता है। लेकिन उन लोग अपने निवेश में जोखिम नहीं लेना चाहते उन लोगों के लिए तो बेहतर माना जाता है। अभी हाल ही का एक वाकया देखलो आप की पिछले दिनों रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने रेपो रेट में बढ़ौतरी की तो कुछ बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दर बढ़ा दी थी। लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश के कुछ नुक्सान भी होते है जिनके बारे में आपको मालूम होना चाहिए।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने से पहले आपको एक बार फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश से होने वाले नुक्सान (Fixed Deposit (FD) Disadvantages) के बारे में भी जरूर मालूम होना चाहिए।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने के नुक्सान
निश्चित ब्याज दर
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश की अवधि के लिए रिटर्न की दर तय होती है। भविष्य में नई एफडी पर ब्याज दर बढ़ने की स्थिति में मौजूदा निवेशक इसका लाभ नहीं उठा पाते ये एक नुक्सान ही है।
कम रिटर्न मिलता है।
स्टॉक और म्यूचुअल फंड की तुलना में फिक्स्ड डिपॉजिट कम रिटर्न देते हैं। यानि की अगर आप स्टॉक या फिर म्यूच्यूअल फंड में निवेश करते है तो आपको रिटर्न ज्यादा मिलता है और वही फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश का रिटर्न उनकी तुलना में काम होता है।
समय से पहले निकासी करने पर जुर्माना लगता है
यदि आप परिपक्वता तक पहुँचने से पहले अपनी सावधि जमा को बंद करना चाहते हैं, तो आप जुर्माने का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। यदि आप अधिक लचीला निवेश करना चाहते हैं तो यह एफडी को एक अप्रभावी विकल्प बनाता है। ये भी एक इसका नुकसान है।
बचत लॉक होती है
चूंकि आपका पैसा निवेश की अवधि के लिए बंद है, इसलिए यदि आपको किसी बेहतर योजना में पुनर्निवेश की आवश्यकता है तो आप पैसे नहीं निकाल पाएंगे।
महंगाई के हिसाब से भी नुक्सान
चूंकि ब्याज दर स्थिर है, जो लोग लंबी अवधि के लिए सावधि जमा का विकल्प चुनते हैं, उदाहरण के लिए 5 वर्ष, उनकी ब्याज दर स्थिर रहेगी जबकि मुद्रास्फीति बढ़ेगी। उनका रिटर्न ज्यादातर परिस्थितियों में महंगाई को मात नहीं दे पाएगा।
टीडीएस लगता है
यदि आपकी समग्र आय कर योग्य है, तो आपकी सावधि जमा स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के अधीन होगी। टर्म डिपॉजिट पर ब्याज आपके समग्र टैक्स ब्रैकेट के अनुसार काटा जाएगा, जिससे रिटर्न कम होगा।
दिवालियापन में भी जोखिम
यदि ऋणदाता दिवालिएपन के लिए फाइल करता है, तो आपकी बचत समाप्त हो जाएगी। आरबीआई के डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के मुताबिक, एक निवेशक केवल 5 लाख रुपये का बीमा करवा पाएगा। अगर एफडी 5 लाख रुपये से ऊपर है तो बची हुई रकम डूब जाएगी।