नई दिल्ली: Gratuity Calculation – अगर आप प्राइवेट कंपनी या फिर की संस्था में नौकरी करते हो तो आपके सामने ग्रेच्युटी के बारे में कभी न कभी चर्चा जरूर चली होगी। आखिर ये ग्रेच्युटी होती क्या है (what is gratuity) और कैसे मिलती है ग्रेच्युटी (how to get gratuity)। ग्रेच्युटी को लेकर क्या क्या नियम सरकार की तरफ से बनाये गये है। ये सब आपको इस आर्टिकल में हम बताने जा रहे है इसलिए इस आर्टिकल को ध्यान से आखिर तक जरूर पढ़ना।
सबसे पहले जान लेते है की आखिर ग्रेच्युटी होती क्या है और कब मिलती है ग्रेच्युटी। देखिये सबसे पहले तो आपको बता दें की ग्रेच्युटी के लिए सरकार की तरफ से कुछ नियम बनाये गये है और जो कर्मचारी उन नियमों को पूरा करता है तो केवल उन्ही को ग्रेच्युटी दी जाती है। ये ग्रेच्युटी किसी भी कर्मचारी को उसके नियोक्ता के द्वारा दी जाती है और इसकी कैलकुलेशन एक फार्मूला के द्वारा की जाती है। लेकिन कुछ जगहों पर ये भी देखा गया है की कर्मचारी को संसथान द्वारा फॉर्मूले की कैलकुलेशन से अधिक ग्रेच्युटी दी जाती है। ये निर्भर करता है उस संसथान पर जहां आप काम करते है। संसथान चाहे तो फॉर्मूले से अधिक ग्रेच्युटी का लाभ अपने कर्मचारी को दे सकता है।
Gratuity किसे कहते है?
आज देश भर में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो की प्राइवेट संस्थानों में कार्य करते है। और इन्ही प्राइवेट कंपनी या फिर संस्थान (Private company or organization) में जब कोई कर्मचारी सरकार की तरफ से तय किये गये निश्चित समय को पूरा कर लेता है तो फिर उस कंपनी या संस्थान की तरफ से कर्मचारी को रिवॉर्ड के तौर पर एकमुश्त धनराशि दी जाती है। इसी को Gratuity के नाम से जानता जाता है। कितना अमाउंट कर्मचारी को Gratuity के रूप में मिलेगा ये सरकार की तरफ से बनाये गये नियम और फार्मूला के आधार पर तय किया जाता है। इसके साथ ही कर्मचारी का मासिक वेतन कितना है इस पर भी Gratuity में कितना पैसा मिलेगा ये निर्भर करता है।
कर्मचारी को Gratuity का लाभ कब मिलता है?
किसी भी कर्मचारी को जब प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) की किसी भी कंपनी (Company) या फिर संस्थान में कार्य करते हुये पुरे 5 साल हो जाते है तो फिर उस संस्थान की तरफ से उस कर्मचारी को रिवॉर्ड (Employee Rewards) के तौर पर एक रकम दी जाती है। आपको बता दें की Gratuity का लाभ लेने के लिए कम से कम 5 साल की नौकरी एक साथ और एक ही कंपनी या फिर संस्थान में होनी जरुरी है। इससे अधिक साल होने पर उतनी ही अधिक Gratuity की रकम कर्मचारी को मिलती है। ये रकम सरकार के द्वारा निर्धारित Gratuity के फॉर्मूले के अनुसार की जाती है। अगर कोई कर्मचारी 5 साल से पहले उस कंपनी या फिर संस्थान को छोड़ डेटा है तो फिर उस कर्मचारी को Gratuity का लाभ नहीं दिया जाता।
इसके अलावा आपको ये भी बता दें की यदि कोई कर्मचारी किसी वर्ष में जब 6 महीने से अधिक कार्य कर लेता है तो उसको पूरा एक वर्ष में गिनती किया जाता है और Gratuity के दौरान पुरे एक साल का लाभ मिलता है। उदहारण के लिए आपको बता दें की मन लीजिये एक कर्मचारी 7 साल और 8 महीने नौकरी करता है और उसके बाद नौकरी छोड़ डेटा है तो उस 8 महीने के समय पीरियड को पुरे एक साल में गिनती करके कर्मचारी को पुरे 8 साल की Gratuity का लाभ दिया जाता है। लेकिन इसके अलावा यदि कोई कर्मचारी 7 साल और 5 महीने कार्य करके नौकरी छोड़ता है तो उस कर्मचारी को केवल 7 साल की Gratuity का लाभ दिया जायेगा।
Gratuity के लिए क्या हैं सरकार के नियम?
भारत सरकार की तरफ से प्राइवेट सेक्टर में कार्य कर रहे लाखों करोड़ों कर्मचारियों के लिए उनकी ग्रेच्युटी को लेकर पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 बनाया गया था। इस एक्ट के मुताबित जिस भी कंपनी या फिर संस्थान में पुरे साल रोजाना यदि 10 से अधिक कर्मचारी कार्य करते है तो उस कंपनी को अपने कर्मचारियों को पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत ग्रेच्युटी का लाभ देना होता है। इसके अलावा यदि कोई कंपनी इस ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में नहीं आती है उसको अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। हाँ यदि वो कंपनी चाहे तो अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ दे सकती है।
ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन कैसे की जाती है?
प्राइवेट कंपनी या फिर संस्थानों में कार्य करने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन के लिए भी सरकार की तरफ से एक फार्मूला बनाया गया है। इस फॉर्मूले के अनुसार कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया) के जरिये कैलकुलेशन होती है। उदहारण के लिए यदि कोई कर्मचारी किसी भी प्राइवेट नौकरी के दौरान एक ही कंपनी में 20 साल नौकरी के पुरे कर लेता है। अब उस कर्मचारी की सैलरी और महंगाई भत्ते दोनों को मिलकर मानलो सैलरी है 1 लाख रुपये। तो उस कर्मचारी को फॉर्मूले के अनुसार 11.54 लाख रुपये ग्रेच्युटी के रूप में मिलगने। फॉर्मूले के अनुसार (1,00,000) x (15/26) x (20)= 1153846 रुपये) की कैलकुलेशन करनी होती है। सरकार के बनाये इस फॉर्मूले में महीने में ड्यूटी के केवल 26 दिन ही काउंट किये जाते है। इसके साथ में कर्मचारी को साल में केवल 15 दिन के आधार पर कैलकुलेशन करके ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है।