सरसो के भाव की हालत काफी ख़राब है टोंक में किसान धरने पर बैठे है घरेलु खाद्य तेल के सस्ते होने से आम जनता को तो राहत मिलती है लेकिन किसानो को काफी नुकसान होता है पाम तेल का ड्यूटी फ्री होना सरसो के भाव पर असर डाल रहा है किसानो को फसल की लागत तक निकालना मुश्किल हो रहा है देश में पाम तेल का जमकर आयत हो रहा है पिछले तीन सालो में पाम का आयात तेजी से बढ़ा है और इसके कारण सरसो के तेल की मांग काफी हद तक प्रभावित हुई है इसके साथ ही मार्किट में कई लोग पाम के तेल को सरसो के तेल में मिलाकर बेच रहे है जिससे लोगो की हेल्थ के साथ खिलवाड़ हो रहा है
सरसो से सस्ता है पाम तेल
पाम आयल के दाम सरसो तेल से काफी कम है और इससे सरसो तेल की मांग पर असर हो रहा है जिससे सरसो की मांग सिमित हो गई है और किसानो को इस बार MSP से भी कम रेट मिल रहे है पिछले साल सरसो के भाव सात हजार का आंकड़ा पार कर चुके थे लेकिन इस बार पांच हजार का आंकड़ा पार नहीं कर पाए है किसानो को फायदा नहीं हो पा रहा है किसानो की मांग है की पाम आयल पर आयात शुल्क लागु किया जाए
53% बढ़ा पाम का आयात
नवंबर 2022 से अप्रैल 2023 के दौरान पाम आयल का जमकर आयात हुआ है और इसमें 53 प्रतिशत का उछाल देखने के लिए मिला है इसके साथ ही सूरजमुखी और सोयाबीन का भी आयात इसमें शामिल है वैश्विक स्तर पर कीमतें गिरने और आयात शुल्क कम होने से भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात कर रहा है।
60 प्रतिशत तेल का होता है आयात
देश में तेल की खपत का 60 प्रतिशत तेल बाहर देशो से आयात होता है अप्रैल के महीने में खाद्य तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर 45 फीसदी तक की कमी आई है और इसके प्रभाव से घरेलु स्तर पर भी तेल की कीमतों में 12.3 फीसदी की कमी आई है इससे आम जनता को तो लाभ हुआ है लेकिन किसानो को इससे नुकसान हो रहा है सरकार की तरफ से फ़िलहाल सरसो MSP 5,450 रुपये निर्धारित किया गया है
भारत में आयातित तेल के आंकड़े
नवंबर 2021 से अक्टूबर 2022 में 14 मिलियन टन खाद्य तेल का आयात हुआ था जिसके लिए 1.6 लाख करोड़ रु खर्च किये गए थे जो की साल दर साल 34 प्रतिशत अधिक है वही साल 2021-22 में भारत ने 1,56,800 करोड़ रुपये में 14 मिलियन टन वेजिटेबल ऑयल आयात किया है।