नई दिल्ली: Tax rules for Gratuity – प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लाखों करोड़ों कर्मचारियों को उनकी ग्रैच्युटी पर लगने वाले टैक्स के बारे में जानकारी ही नहीं होती है। उनको मिलने वाली ग्रैच्युटी पर कितना टैक्स लगता है?, क्या सरकारी नौकरी करने वालों को ग्रैच्युटी पर टैक्स नहीं लगता और क्या प्राइवेट कर्मचारी की ग्रैच्युटी का कोई हिस्सा टैक्स फ्री होता है या नहीं होता। जानेंगे इस आर्टिकल में ये सब कुछ इसलिए इस आर्टिकल को ध्यान से आखिर तक जरूर पढ़ना।
ग्रैच्युटी क्या होती है और कैसे मिलती है
देश का कोई भी कर्मचारी जो नौकरी करता है उसको सरकार के बनाये गये नियम के मुताबित ग्रैच्युटी का लाभ दिया जाता है। कर्मचारी के किसी भी संस्थान में 5 साल या इससे अधिक समय तक कार्य करने पर ही उस कर्मचारी को ग्रैच्युटी का लाभ मिलता है। लेकिन प्राइवेट कर्मचारियों को जो ग्रैच्युटी का पैसा मिलता है उसमे से सरकारी नियमों के अनुसार कुछ फीसदी हिस्सा ही टैक्स फ्री होता है और बाकि के हिस्से पर टैक्स लगता है। ग्रैच्युटी को टोकन ऑफ एप्रीसिएशन भी कहा जाता है।
आपको बता दें की जो कर्मचारी राज्य सरकार के लिए काम करते है और जो कर्मचारी केंद्र सरकार के लिए काम करते है उन सबको जो ग्रैच्युटी का पैसा मिलता है वो पूरी तरफ से टैक्स फ्री होता है। उसमे किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लगता। लेकिन प्राइवेट संस्थानों में कार्य करने वाले कर्मचारियों को जो ग्रैच्युटी का लाभ मिलता है उनके लिए सरकार की तरफ से टैक्स के कुछ अलग से नियम बनाये गये है।
प्राइवेट कर्मचारियों का ग्रैच्युटी का कितना पैसा टैक्स फ्री होता है?
प्राइवेट कर्मचारियों के लिए ग्रैच्युटी के पैसे को लेकर जो सरकार की तरफ से नियम बनाये गये है उनके मुताबित 3 शर्तों के आधार पर पैसा टैक्स फ्री होता है। इसकी कैलकुलेशन के किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस को ही शामिल किया जाता है। सैलरी के बाकि हिस्सों को इस कैलकुलेशन में शामिल नहीं किया जाता।
इसकी शर्तों में Payment of Gratuity Act 1972 के तहत जिस भी संस्थान में 10 से अधिक कर्मचारी काम करते है उसको शामिल किया गया है। कमर्चारी को ग्रैच्युटी के रूप में ज्यादा अमाउंट मिलता है तो उस अमाउंट को उस कर्मचारी की टोटल इनकम में शामिल किया जाता है और फिर उस कर्मचारी की इनकम के आधार पर उससे टैक्स लिया जाता है।