जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होने के पीछे कई कारण हो सकते है मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी, पानी की अनुपलब्धता , आधुनिक तकनीकों के गलत उपयोग , अत्यधिक मात्रा में उर्वरक का उपयोग धीरे धीरे जमीन की उपजाऊ क्षमता को खत्म कर रहे है तो कुछ तरीके है जिसकी बदौलत आप बंजर जमीन को फिर से उपजाऊ बना सकते है आइये जानते है
खेती के तरीके बदले
जहा पर जमीन बंजर हो चुकी है वहाँ पर पर्यावरणीय खेती की तकनीक का उपयोग करे इसमें आप बंजर जमीन पर वर्षा के जल संसाधन का उचित प्रबंध कर सकते है जिससे पानी की सुनिश्चित के साथ जैविक खेती कर सकते है जैविक उर्वरक का उपयोग , आधुनिक तकनीक का सही प्रयोग, पशुपालन जैसे कार्य बंजर भूमि पर करे इससे जैविक तत्व की मात्रा बंजर जमीन में बढ़ेगी तो जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है
पेड़ पौधे लगाए
बंजर जमीन में पेड़ पौधे की संख्या बढ़ाये ताकि प्राकृतिक संतुलन बने, वर्षा का पानी संचित करे, बागवानी जैसे कार्यक्रम के तहत बंजर जमीन पर पेड़ पोधो का रोपण करे इससे जमीन का सही से उपयोग भी होगा और जमीन की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ेगी संरक्षित क्षेत्रों का निर्माण करे ताकि प्राकृतिक रूप से बंजर जमीन की रिकवरी हो सके। फलदार पोधो लगाए। क्योंकि फलदार पौधे मिटटी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाते है साथ में आपको आर्थिक रूप से कमाई भी हो जाएगी कुछ समय के लिए रासायनिक खाद का उपयोग बंद कर जैविक खाद का उपयोग करना शुरू करे और वर्षा के जल को संचित करने के लिए जमीन के पास में कोई स्टोरेज सिस्टम विकसित करे ताकि मिटटी में पानी की मात्रा बनी रहे
फसल चक्र में बदलाव
जहा पर उपजाऊ क्षमता कम हो रही है वहा पर फसलों में बदलाव करना जरुरी है इसके साथ ही खेत में हरी खाद का उपयोग करना जरुरी है भूमि की उवर्रकता को बढ़ाने के लिए बाजरा, लोबिया, ढैंचा, मक्का, मूंग, सनई, ग्वार व् अन्य फसल चक्र अपनाकर बुवाई करें इसके लिए आप ढेंचा की खेती कर सकते है जो जमीन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व की पूर्ति करता है और जमीन की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाता है साथ में ही हर सीजन में फसल में बदलाव जरुरी है ताकि प्राकृतिक रूप से जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ोतरी होती रहे। फली वाली फसलों का उत्पादन ले ताकि जमीन में नाइट्रोजन की प्रचुर मात्रा बनी रहे बंजर जमीन में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है इसमें नाइट्रोजन, बोरोन, पोटेशियम, फास्फोरस, जिंक, कॉपर और आयरन जैसे तत्वों की जरुरत होती है और इसके लिए आप हरी खाद , देशी खाद (मुर्गी की खाद, गोबर की खाद, भेड़ बकरी की खाद ) का उपयोग अधिक करे वही पर नीम की खली खेतो में डाले इससे मिटटी की उपजाऊ क्षमता काफी हद तक बढ़ती है
ह्यूमिक एसिड
बंजर भूमि में ह्यूमिक एसिड का प्रयोग काफी हद तक भूमि को उपजाऊ बनाने में मदद करता है ये भूमि में नमी की मात्रा को बनाये रखने के साथ साथ पोधो में खाद की मात्रा को सही से घोलकर जड़ तक पहुंचने का कार्य करता है ह्यूमिक एसिड बनाने के लिए आप दो या तीन वर्ष पुराने गोबर के कंडो को 50 लीटर वाले ड्रम में भर कर रखे इसके सात दिन बाद इस ड्रम से कंडो को निकाल कर जो पानी बचता है उसको आप ह्यूमिक एसिड के रूप में इस्तेमाल कर सकते है इस पानी को मिटटी में मिलाकर उसका छिड़काव खेत में कर सकते है या फिर ड्रिप सिस्टम से भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है
ह्यूमिक एसिड के फायदे
पोधो में विटामिन की मात्रा को बढ़ावा देता है इसके साथ ही ह्यूमिक एसिड पोधो में मौजूद हार्मोन को एक्टिव करता है जड़ एवं पत्तियों द्वारा सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है मिटटी को अनुकूल बनता है साथ में ही प्रकाश संष्लेशन की प्रक्रिया को बढ़ाता है