इस साल देश में मानसून कैसा रहने वाला है और किसान खरीफ की बुआई कब तक कर सकते है इसकी पूर्ण जानकारी यहाँ पर आपको देने वाले है। भारतीय मौसम विभाग की तरफ से इस साल मानसून के बारे में अपडेट दी गई है की मानसून पुरे देश में सामान्य रहने वाला है वही पर प्राइवेट एजेंसी स्काई मेट के अनुसार इस साल मानसून कमजोर रहने वाला है तो जानते है की किसकी भविष्यवाणी सही है।
इस साल मौसम विभाग की तरफ से मानसून के सम्बन्ध में पहला अपडेट जारी किया गया है अगस्त सितम्बर के मानसून के दौरान अलनीनो का असर देखने के लिए मिल सकता है लेकिन इतना अधिक नहीं होगा की मानसून कमजोर पड़े। अभी मौसम विभाग की तरफ से मानसून से सम्बंधित और भी अपडेट जारी किये जाने है
मानसून केरल के तट पर पहुंचने के बाद देश में इसकी शुरुआत हो जाएगी। मौसम विभाग की तरफ से मानसून की रफ़्तार पर पूरी नजर रखी जा रही है देश में मानसून के आने का समय नार्मल 25 मई से एक जून के बीच का होता है। और केरल के तटों पर देश में मानसून दस्तक देता है एक जून के आसपास मानसून केरल में और इसके बाद बंगाल की खाड़ी, कोंकण क्षेत्र, तमिलनाडु में 15 तक रहता है।
मौसम विभाग के अनुसार इस साल बारिश सामान्य होगी और अलनीनो का असर इतना अधिक नहीं होगा मौसम विभाग की तरफ से अगले अपडेट में साफ हो जायेगा की देश में मानसून की रफ़्तार क्या होगी और कितनी बारिश हो सकती है। मानसून से खरीफ की फसल को काफी फायदा मिलता है। बारिश से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है जहा तक स्काई मेट एजेंसी के पूर्वानुमान का है तो अगले अपडेट में पता लगेगा की किसका अनुमान सही है
स्काई मेट का अनुमान
प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट के अनुसार इस साल मानसून सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है एजेंसी ने इस साल 94 प्रतिशत तक बारिश होने की बात कही है स्काई मेट के अनुसार इस साल अलनीनो के प्रभाव से मानसून कमजोर हो सकता है।
IMD जारी करेगा फाइनल मानसून अपडेट
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र के अनुसार मई के अंतिम सप्ताह में मोसम विभाग अपडेट जारी करेगा और इससे मानसून की वास्तविक विवरण पता लगेगा, डॉ. मृत्युंजय महापात्र के अनुसार अलनीनो की स्थिति भूमधीय रेखा प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ स्थिति बदल गई है हालाँकि हिंदमहासागर और प्रशांत महासागर के ऊपर सतह के तापमान की स्थिति पर मानसून के मजबूत प्रभाव के रूप में जाना जाता है इसलिए भारतीय मौसम विभाग की तरफ से महासागरीय बेसिन्स पर समुन्द्र की सतह की स्थिति के विकास पर कड़ी निगरानी की जा रही है