मिर्ची की खेती से कमाए अच्छा लाभ , मिर्ची की खेती की पूर्ण जानकारी ले

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आप सभी को पता होगा कि आज के समय में अगर खाने में मिर्च ना हो तो स्वाद कैसा होता है | भारत समेत दुनिया में हर कोई मिर्च का उपयोग करता है | इसलिए मिर्च के दाम भी बहुत अधिक रहता है और इसकी खेती भी बहुत ज्यादा की जाती है । भारतीय घरों में मिर्च का उपयोग आचार और मसालों के रूप में किया जाता है । यदि मिर्च की खेती आधुनिक तकनीक से की जाए तो इसकी अधिक पैदावार की जा सकती है ।

भारत देश में मिर्च की खेती ज्यादातर कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, हरियाणा आदि राज्यों में कि जाती है । यह भारत के सर्वाधिक मिर्च उत्पादक राज्य है ।  इन राज्यों में ही मिर्च का तीखापन आता है ।

मिर्च की खेती के लिए खेत की तैयारी

  • मिर्च की खेती के लिए खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को साफ करके एवं उनके अवशेषों को नष्ट करके खेत को तैयार करें ।
  • मिर्च की खेती करने के लिए जिस खेत में खेती की जाएगी, उसकी पीएच मात्रा का निरीक्षण करवाएं । इसकी खेती के लिए मृदा का pH मान5 से 8 तक होना चाहिए ।
  • मिर्च की खेती करने के लिए आपको खेत में प्रति एकड़ के हिसाब से 10 टन गोबर खाद का उपयोग करें और फिर एक बार जुताई करें
  • उसके बाद खेत को ऐसे ही छोड़ दें ।
  • जब खेत में गोबर खाद अच्छे से मिश्रीत हो जाए, तो खेत में चार से पांच बार गहरी जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को अच्छे से समतल बनाएं ।
  • खेत में केंचुआ खाद का भी उपयोग कर सकते हैं ।

मिर्च की खेती के लिए मौसम कैसा होना चाहिए?

वैसे तो मिर्च की खेती साल में किसी भी मौसम में की जा सकती है । मगर इसकी खेती के लिए गर्म आद्र जलवायु उपयुक्त रहती है । मिर्च की खेती के लिए तापमान 15 से 35 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए । इसकी खेती सर्दी, गर्मी, बरसात तीनों मौसम में की जा सकती है ।

मिर्ची की खेती शीतकालीन मौसम में जून से जुलाई के मध्य की जाती है और ग्रीष्म मौसम में दिसंबर से जनवरी के मध्य में इसकी खेती की जाती है । मिर्च की खेती ज्यादा जलभराव वाली स्थिति में नहीं की जाती है । इसलिए ध्यान रहे वर्षा के मौसम में इसकी खेती ऐसी जगह पर करें जहां जलभराव की स्थिति ना हो।

मिर्च का बीज

मिर्च की खेती करने के लिए आपको पहले बीज तैयार करना होता है । इसके लिए आप बाजार से आवश्यकता अनुसार बीज लाकर नर्सरी में या फिर अपने खेत में एक धौरा बनाकर । उसमें बीजों को बोना चाहिए ..

मिर्च के बीज की पहली बुवाई को बिचड़ा कहते हैं |

मिर्च की खेती करने के लिए 1 एकड़ खेत में लगभग 300 से 400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है । यह बीज आप अपने घर की मिर्ची से निकाल सकते हैं या फिर बाजार में से अच्छी किस्म को देखकर ला सकते हैं l

बीज को बोने के बाद सिचाई करने के लिए फव्वारा विधि या छिड़काव तन्त्र का उपयोग करे | क्योकी इस समय बीज काफी छोटी अवस्था में होता है और पाइप लाइन के द्वारा पानी पिलाने से बीज बहाव के कारण बह सकता है या फिर अंकुरित बीज खराब हो सकता है ।

मिर्च की उन्नत किस्मे

  • अर्का मेघना

मिर्च की इस किस्म को IHR 3905 (CGMS) और IHR 3310  के संकरण के द्वारा प्राप्त किया गया है। यह एक अगेती किस्म है । यह विषाणु और कीटों के लिए सहनशील है ।

इस किस्म के पौधे लंबे एवं गहरे रंग के होते हैं। यह किस्म बुवाई के 150 से 160 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है । मिर्च की इस किस्म से आप 30 से 35 टन हरी मिर्च और 5 से 6 टन सुखी मिर्च प्रति हैक्टर क्षेत्र से प्राप्त कर सकते |

  • काशी सुर्ख

इस किस्म को सुर्ख सेमी लाइन और पूसा ज्वाला के सकरण के द्वारा से प्राप्त किया है ।

इस किस्म के पौधे की लंबाई 11 से 12 सेन्टीमीटर तक होती है । मिर्च की यह किस्म लगभग 50 से 55 दिनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है । इस किस्म से आप 20 से 25 टन प्रति हेक्टर हरी मिर्च और 3 से 4 टन प्रति हैक्टेयर सूखी मिर्च का उत्पादन कर सकते हैं |

  • पूसा सदाबहार

मिर्च की यह किस्म लगभग 60 से 70 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है और प्रथम तोड़ाई की जाती है इससे प्रति हेक्टर 8 से 10 टन हरी मिर्च का उत्पादन कर सकते हैं ।

इस किस्म की मिर्ची 6 से 8 सेंटीमीटर लंबी होती है ।

इन किस्मों के अलावा भी मिर्च की कई और किस्में भी है जिनका इस्तेमाल आप कर सकते हो जैसे कि – काशी अनमोल, काशी विश्वनाथ, जवाहर मिर्च, अर्का सुफल, संकर किस्म काशी अर्ली, काशी हरिता, एचपीएच-1900 आदि ॥

मिर्च की बुवाई

  • सर्वप्रथम मिर्च की बुवाई के लिए बीज को नर्सरी में या फिर खेत के क्यारे में तैयार किया जाता है । इसमें संपूर्ण बीज को एक साथ एक क्यारे में डाला जाता है । जिसके पश्चात घास के समान पौधे अंकुरित होते हैं और फिर उन पौधों को एक-एक करके उखाडा जाता है और निश्चित दूरी पर खेत में उगाया जाता है ।
  • यह सारा काम हाथों से किया जाता है ताकि बीज निश्चित दूरी पर लग सके । बीज बुआई करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि बीज की जड़ ना तो तुटी हो और ना ही बीज को उपाढ़ते समय जड़ को नुकसान पहुंचा हो ।
  • बीज को एक निश्चित आकार का होने दे, जब बीज 4 से 5 सेंटीमीटर का हो जाए तब बीज को उखाड़ ले और बुवाई के आधे घंटे पहले बीज को उपाढ़े और हाथों-हाथ खेत में बुवाई कर दें॥
  • मिर्च का जो छोटा बीज होता है, उसे बिचड़ों कहा जाता है और यह लगभग 4 से 5 सप्ताह में तैयार हो जाता है । उसके बाद इसे उखाड़ कर समतल खेत में बोया जाता है ।
  • बुवाई से 15 दिन पहले एक बार बिचड़ों की सिंचाई करें । बिचड़ों की सिंचाई करने से जब हम बिज को उकाडते है तब इसकी जड़े नहीं टूटती है ।

सिंचाई

बिचड़ों की सिंचाई करने के लिए छिड़काव यंत्र या फिर फ़व्वारा विधि का प्रयोग करें। क्योंकि यदि हम अधिक धारा के साथ पानी का प्रवाह करेंगे । तो बिज या तो बह जाएंगे या फिर तुट सकते हैं ।

मिर्च की फसल को सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है । इसलिए खेत में नामी बनाए रखें और बुवाई के तुरंत 1 से 2 दिन बाद सिंचाई करें और बिचड़ों को उखाड़ने के 15 से 20 दिन पहले एक बार सिंचाई करें ।

बीज बुवाई के बाद धोरे बनाकर सिंचाई करें इससे फसल में नमी बनी रहती है और वर्षा के मौसम में ज्यादा सिंचाई ना करें क्योंकि वर्षा के मौसम में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है । ज्यादा सिंचाई करने से इसकी जड़े गल सकती है, इसलिए जलभराव वाले क्षेत्रों को अनदेखा करें ।

खाद एवं उर्वरक

मिर्च का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए पोषक तत्व और उर्वरकों को डालना चाहिए इससे फसल अच्छी होती है । इसके अलावा यदि आप खेत में गोबर खाद भी डालते हो तो यह भी अच्छी बात है । 1 एकड़ खेत में लगभग 10 टन गोबर खाद की आवश्यकता होती है । जिसे आपको बुवाई से पूर्व डालना होता है ।

गोबर खाद के अलावा यदि आप रासायनिक खाद का उपयोग करते हो, तो आपको इन्हें संतुलित मात्रा में ही देना चाहिए | इसके लिए आपको किसी लाइसेंस प्राप्त कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेना आवश्यक है ।।

मिर्च का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जुताई के समय 10 टन प्रति एकड़ गोबर खाद का या फिर मुर्गियों की खाद का उपयोग कर मिट्टी को अच्छा भुरभुरा बनाना चाहिए ।

बुवाई के 20 दिन बाद प्रत्येक पौधे में 25-25 ग्राम डीएपी (DAP) खाद को डालना चाहिए और उसके बाद पौधों के ऊपर थोड़ी-थोड़ी मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए | जिससे जड़ों का विकास बहुत अच्छे से होता है । उसके बाद जब पौधा थोड़ा बड़ा हो जाए तो 50 दिन बाद डीएपी (DAP) खाद की मात्रा 100 ग्राम करके और पोटाश की 25 ग्राम मात्रा को प्रत्येक पौधे में डालें और फिर मिट्टी को चढ़ा दें|

मिर्च की फसल की निराई गुड़ाई

  • मिर्च की फसल में निराई गुड़ाई का बहुत ज्यादा ध्यान रखना होता है । क्योंकि यदि मिर्च की फसल में खरपतवार पैदा हो, जाए तो यह फसल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं । यदि खरपतवार का समय पर नियंत्रण नहीं किया जाए, तो यह फसल को रोग ग्रस्त कर सकते हैं ।
  • मिर्च के पौधे की बुवाई के 20 दिनों के बाद फसल में पहली निराई गुड़ाई करनी चाहिए ।
  • पहली निराई करने के बाद दूसरी निराई 15 से 20 दिनों के अंतराल पर ही करें
  • निराई गुड़ाई करने के लिए खुरपी या कुदाल की सहायता लेवे
  • इसके अलावा फसल में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक विधियों का भी प्रयोग किया जाता है । जिसके लिए रासायनिक उर्वरकों का छिड़काव फसल में किया जाता है । मिर्ची की खेती में खरपतवार नियंत्रित करने के लिए मुख्य रूप से आक्सीफ्लोरफेन (oxyfluorfen) का छिड़काव किया जाता है ।

 

मिर्च में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

मिर्ची की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम के उपाय निम्नलिखित है ।

  • ग्रे मोल्ड रोग (Gray Mold Disease)

यह एक कवक जनित रोग है, जो बोट्रीसिस सिनेरिया कवक के कारण फैलता है । यह रोग सीधा पौधों के तीनों पर हमला करके पौधे को कमजोर करता है ।

  • छाछया रोग

इस रोग से ग्रसित मिर्च के पौधे की पत्तियों पर सफेद चूर्ण जैसे धब्बे दिखाई देते है। बाद में धब्बे बढ़कर पौधे को खराब कर देते हैं और पत्तियां सूख जाती है। इस रोग के निवारण हेतु आपको रासायनिक प्रयोग करने चाहिए । जिसके लिए केराथियॉन एल सी (Kerathion LC) की उचित मात्रा छिड़काव 10 से 15 दिनों के अंतराल पर मिर्च की फसल में करें ।

  • आर्द्र गलन

यह रोग शुरुआती दौर में ही देखने को मिलते हैं। यह रोग पौधे की ऊपरी हिस्से को प्रभावित करते हैं । इस रोग के कारण पौधे का तना काला पड़ जाता है । बाद में पौधे का तना सड़कर खराब हो जाता है । इस रोग से बचाव के लिए पौधे को रोपाई से पहले थाइरम या कैप्टान की उचित मात्रा के साथ उपचारित करना चाहिए और यदि खड़ी फसल पर यह रोग लगता है तो आपको इन्हीं रसायनों का छिड़काव करना चाहिए।

  • सफेद मक्खी

यह रोग बेमेसिया टेबेकाई एक कीट के कारण होता है । इस कीट के शिशु पत्तियों के निचली सतह पर बैठकर रस को चूसते हैं और शहद जैसे पदार्थ को पत्तियों पर छोड़ देते हैं। जिसकी वजह से मिर्च की पत्तियों के ऊपर धब्बेदार काले रंग की फंगस जम जाती है और यह फंगस धीरे-धीरे बढ़ती जाती है । मिर्ची को इस रोग से बचाने के लिए एसेटामिप्रिड की 4 ग्राम मात्रा को 10 लीटर पानी में मिलाकर या ट्राइज़ोफॉस, प्रोफैनोफॉस, आदि को पानी मिलाकर उचित मात्रा के साथ बुआई के 15 दिनों के बाद 2 से तीन बार छिड़काव करें ।

  • सफेद लट

यह एक सफेद लीट होता है जो मिर्च की जड़ों पर पहुंचकर उसे हानि पहुंचाता है । इस रोग के कारण फसल पूरी तरह से खराब हो सकती है। मिर्च की फसल को इस रोग से बचाने के लिए फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी की 25 किलोग्राम मात्रा को प्रति हेक्टर क्षेत्र के हिसाब से पौधों की बुवाई से पूर्व जमीन में मिलाना चाहिए ।

कटाई या तोड़ाई

जब मिर्च की फसल अच्छे से पक जाए और मिर्च के पौधे पर छोटी-छोटी मिर्च आने लगे तब आपको मिर्ची को 15 से 20 दिनों के बाद तोड़ लेना चाहिए ॥ पहली तोड़ाई के 12 से 15 दिनों के बाद आपको दूसरी तोड़ाई करनी चाहिए ।

मिर्च का इतिहास

हालांकि इतिहास में इसके खिलाफ भी कुछ ठोस परिणाम नहीं है मगर हरी मिर्च का जन्म 7000 ईसा पूर्व मेक्सिको में माना जाता है । मिर्च को अमेरिका, इटालियन समुद्री नाविक लेकर गए थे। जब वह समुद्र के रास्ते भारत का रास्ता खोजते हुए आए थे । भारत देश में मिर्च का आगमन पुर्तगालियों द्वारा हुआ था | लेकिन कई इतिहासकार इस पर भी आशंका जताते हैं और वह मानते हैं कि मिर्च का जन्म भारत में हुआ था । भारत में भी इसके कई प्राचीन प्रमाण मौजूद हैं जिनसे यह स्पष्ट होता है कि मिर्च का जन्म भारत में हुआ ।इतिहासकार सवाल उठाते हैं की पुर्तगालियों के भारत आने से पहले क्या भारत के लोग मिर्च का उपयोग नहीं करते थे? प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी मिर्च का उल्लेख है l भारतीय पाक कला में तकरीबन 8000 साल पहले का इतिहास मिलता है जिनमें सभी व्यंजनों का उल्लेख है |मिर्च को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नाम दिया गया है हिंदी में मिर्च को मिर्ची कहा जाता है । जबकि बंगाली और उड़िया में लंका या लंकामोरिच और गुजराती में मिर्च को मार्च व मलयालम में मुलाकू कहते हैं ।

मिर्च की खेती कौन से राज्य में और कितनी पैदावार होती है?

भारत देश में सर्वाधिक मिर्च उत्पादन बागवानी बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्य में होती हैं । यह सभी राज्य भारत की कुल 9०% मिर्च का उत्पादन करते हैं ।

भारत देश में सबसे ज्यादा मिर्च उत्पादन कर्नाटक राज्य में किया जाता है । कर्नाटक राज्य में भारत की मिर्च का कुल 19% भाग उत्पादन किया जाता है ।

कर्नाटक के बाद बिहार है जहां पर 12.50% मिर्च का उत्पादन होता है । उसके बाद आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र आते हैं जहां पर 12.10% और 9.53% मिर्च का उत्पादन किया जाता है । अन्य सभी राज्यों में इन सबसे कम मिर्च का उत्पादन किया जाता है भारत देश मिर्च के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है ।

Chirag Yadav

Farming or Business ke topic likhne me pakad achchi khasi hai or detail me likh leta hun. Khabron par har samay najar rahti hai esliye sahi samay par aapko har khabar dene ki kaushish rahti hai. ummid hai ye kaushish aage bhi jaari rahegi.

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