धान की बुआई के लिए नई नई तकनीक आ चुकी है लेकिन आज भी कुछ किसान उसी पारम्परिक तरीके से धान की खेती करते है जिससे लागत अधिक आती है और मुनाफा कम होता है आप आपको कुछ टिप्स देने वाले है जिसके माध्यम से आप कम लागत में अधिक उत्पादन ले सकते है
धान वैरायटी का चुनाव
धान की जितनी भी वैरायटी देश में मिलती है वो सभी किसी एक या दो क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से होती है इसलिए आपको अपने क्षेत्रों के हिसाब से धान की वैरायटी का चुनाव अधिक उत्पादन देने में मदद करेगा
बीजो का उपचार जरुरी
धान की बुआई करने से पहले धान के बीजो को फफूंदी नाशक दवाई से उपचारित करना जरुरी है इसके लिए प्रति किलो बीज को 3 ग्राम बैविस्टिन फफूंदनाशक से उपचारित करें
बुआई की विधि
किसान अलग अलग तरीके से धान की बौआई करते है लेकिन उनको SRI विधि से रोपाई करना अधिक फायदेमंद होता है इसमें एक जगह पर एक या दो पोधो की रोपाई की जाती है और पोधो और कतारों की दुरी 25 सेमी रखनी चाहिए
धान में अधिक कल्ले के लिए जरुरी कार्य
धान की बुआई होने के बाद करीब 25 से 30 दिन बाद कल्ले फूटने शुरू हो जाते है और इस दौरान किसान ध्यान दे की प्रति एकड़ 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 10 किलोग्राम ज़िंक की मात्रा देना जरुरी है इससे धान के कल्ले अधिक मात्रा में आएंगे लेकिन इस दौरान ध्यान रखे की खेत में पानी की मात्रा कम हो
खेत में चलाये पाटा
धान की रोपाई होने के 20 दिन बाद खेत में एक बार पाटा चलने से खेत में मौजूद सुंडी जैसे कीड़े पानी में गिरने से खत्म हो जाते है इससे फसल में नुकसान नहीं होता है लेकिन एक बात का ध्यान रखना जरुरी है पहली बार पाटा लगाने के बाद दूसरी बार पाटा उलटी दिशा में लगाए और पाटा लगाने के दौरान खेत में पानी पर्याप्त मात्रा में होना जरुरी है