जो लोग दूसरे राज्यों में प्रवास कर रहे है उनके लिए कोर्ट ने राहत दी है कोर्ट की तरफ से सरकार को आदेश जारी किये गए है की तीन महीने के अंदर जो भी प्रवासी मजदुर मुफ्त राशन योजना के पात्र है उनके लिए राशन की सुविधा का प्रबंध करना अनिवार्य है और सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती है
सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोजगार एवं श्रम मंत्रालय के प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड से सम्बंधित पूर्ण सुविधा के लिए निर्देश जारी किये गए है आदेश के अनुसार सभी प्रवासी मजदूरों को जो राशन कार्ड मुफ्त योजना के पात्र यही उनको राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का पूर्ण लाभ मिलना जरुरी है कोई भी राज्य सरकार प्रवासी मजदुर को इस आधार पर राशन सुविधा का लाभ देने से इंकार नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार देश के हर नागरिक को इन योजनाओ के तहत लाभ मिलना चाहिए
28.86 करोड श्रमिको ने करवाया रजिस्ट्रेशन
केंद्र सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 28.86 करोड श्रमिक श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा चुके है। इसके साथ ही 24 राज्यों और केंद्र श्रम विभाग के बीच डेटा बांटा जा रहा है जिसमे 28.86 करोड श्रमिक में से 20 करोड़ लोग NFSA के लिए लाभार्थी है इनको राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभ मिलता है। अगर आप भी इस अधिनियम के तहा लाभार्थी है तो आपके लिए ये खबर महत्वपूर्ण हो सकती है सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य सरकार की तरफ से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों को मुफ्त राशन के साथ बहुत सारी सुविधाओं का लाभ दिया जायेगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड धारको को फ्री और सस्ते राशन के साथ कई बड़े फ़दये दिए जा रहे है इसके साथ ही बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े कार्य , अड्रेस प्रमाण के लिए और गैस कनेक्शन के लिए भी राशन कार्ड को एक अहम दस्तावेज बना दिया गया है
शीर्ष अदालत ने ये आदेश अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोक्कर की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है की राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम के तहत लाभ देश के हर नागरिक को मिलना चाहिए और सरकार की ये जिम्मेदारी बनती है की हर व्यक्ति तक इसका लाभ पहुंचे और इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभ लेने वाले के बारे में पूर्ण जानकारी होने के बाद कहा गया था की 38 करोड़ के करीब प्रवासी मजदुर में से सिर्फ 28 करोड़ लोग ही ऑनलाइन श्रम पोर्टल पर रेजिस्टर्ड है COVID-19 महामारी के दौरान SC ने प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं को लेकर स्वतः संज्ञान लिया था